मगर एहसासों की कमी भी बहुत खलती है मगर एहसासों की कमी भी बहुत खलती है
कितनी हसरतों से, सहेज कर सपनों को, महलों को धीरे -से थपथपाती है। कितनी हसरतों से, सहेज कर सपनों को, महलों को धीरे -से थपथपाती है।
सिमटती कभी बिखरती खुदा ने नायाब बनाया है, नारी हो तुम हर मर्तबा बेईमानों को समझाया है सिमटती कभी बिखरती खुदा ने नायाब बनाया है, नारी हो तुम हर मर्तबा बेईमानों को स...
किसी के वज़ूद को तलाशती किसी के वज़ूद को तलाशती
प्यार क्या है हकीकत में कोई नहीं जानता! प्यार क्या है हकीकत में कोई नहीं जानता!
मैं भी घुटती हूँ, पिसती हूँ, बिखरती हूँ, टूटती हूँ मैं भी घुटती हूँ, पिसती हूँ, बिखरती हूँ, टूटती हूँ